नीतीश कुमार मुझ पर कविता पढ़ रहे हैं जबकि मैं हास्य व व्यंग्य कवियों के विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर हूं। कविता का जवाब कविता से दिया जाएगा।' राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद गुरुवार को अपने रौ में थे।
इस अवसर पर लालू ने अपनी यह कविता भी पढ़ी- ये शासन है महाराज सुशासन का।।
खेल हो रहा कुशासन का। भय, भूख, भ्रष्टाचार मिटाएंगे।। एसी डीसी फर्जी बिल बनवाएंगे।
आसन पर बैठकर सुशासन बाबू कहलाएंगे। बाढ़ सुखाड़ से जनता को रूलाएंगे।।
ठहाका लगा-लगा कर सुशासन बाबू कहलाएंगे। अब समय आया है सुशासन बाबू जाएंगे।।
हटने पर बाल नोच-नोचकर खाएंगे। तब बार -बार हम याद कराएंगे।।
नक्सलियों के आतंक से ये घर में छुप जाएंगे।
आरएसएस की गोद में बैठकर सेकुलर कहलाएंगे।
कविता को पढ़ते हुए लालू ने कहा कि यह प्रथम अध्याय है।
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इस अवसर पर लालू ने अपनी यह कविता भी पढ़ी- ये शासन है महाराज सुशासन का।।
खेल हो रहा कुशासन का। भय, भूख, भ्रष्टाचार मिटाएंगे।। एसी डीसी फर्जी बिल बनवाएंगे।
आसन पर बैठकर सुशासन बाबू कहलाएंगे। बाढ़ सुखाड़ से जनता को रूलाएंगे।।
ठहाका लगा-लगा कर सुशासन बाबू कहलाएंगे। अब समय आया है सुशासन बाबू जाएंगे।।
हटने पर बाल नोच-नोचकर खाएंगे। तब बार -बार हम याद कराएंगे।।
नक्सलियों के आतंक से ये घर में छुप जाएंगे।
आरएसएस की गोद में बैठकर सेकुलर कहलाएंगे।
कविता को पढ़ते हुए लालू ने कहा कि यह प्रथम अध्याय है।
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